कल एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए राजस्थान की गहलोत सरकार ने राजस्थान में मृत्युभोज कुप्रथा को खत्म करने के लिए इस पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगाने का फैसला लिया है| अगर कही भी मृत्यु भोज किया जाता है तो इसकी सुचना उस पंचायत के पंच, सरपंच और पटवारी सरकार को देंगे और अगर ऐसा नहीं किया गया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही का प्रावधान रखा गया है|

मंडावा कनेक्ट राजस्थान सरकार की इस पहल का समर्थन करता है और बधाई देता है. ये एक ऐसा निर्णय है जिस से बहुत से गरीबों का जीवन नरक होने से बचेगा और वे कर्ज के बोझ तले नहीं दबेंगे. मृत्युभोज पर प्रतिबंध का कानून तो 1960 का है, लेकिन कई जगह इसका पालन नहीं हो रहा था. इसके अलावा पहली बार पंच-सरपंच और पटवारी की जवाबदेही तय की गई है.
इससे शर्मनाक कुछ भी नहीं हो सकता:
किसी घर में खुशी का मौका हो, तो समझ आता है कि मिठाई बनाकर, खिलाकर खुशी का इजहार करें, खुशी जाहिर करें. लेकिन किसी व्यक्ति के मरने पर मिठाईयाँ परोसी जायें, खाई जायें. इससे शर्मनाक कुछ भी नहीं हो सकता.
क्या लग पाएगा कुरीती पर अंकुश?
रिश्तेदारों को तो छोड़ो, पूरा गांव का गांव व आसपास का पूरा क्षेत्र टूट पड़ता है खाने को! तब यह हैसियत दिखाने का अवसर बन जाता है. लेकिन अब राज्य सरकार के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय ने इस कुरीती को रोकने के लिए अपनी कमर कसना शुरू कर दी है. ऐसे में देखने वाली बात तो यह होगी कि पुलिस इस कुरीती को रोकने में कितना कामयाब हो पाती है.
सरकारी आदेश की प्रतिलिपि निचे दी गयी है.

सरकार के इस फैसले पर आपकी क्या राय है ? हमें कमेंट करके बताये .