जी हाँ, ये पूरी कहानी ही फ़िल्मी है, एक दुर्दांत हत्यारे के उत्थान से लेकर एनकाउंटर तक की। कानपुर के बिकरु गांव में दो जुलाई की रात आठ पुलिसकर्मियों की हत्याकर यूपी का मोस्ट वांटेड गैंगस्टर बनने वाला विकास दुबे आज एनकाउंटर में मारा गया। आज अलसुबह 7 बजे हुए एक नाटकीय घटनाक्रम में उत्तर प्रदेश की एस टी एफ के साथ हुई मुठभेड़ में उसे मार गिराया।
कैसे हुआ हादसा
जैसा की कल अनुमान लगाया जा रहा था की उसका एनकाउंटर किया जा सकता है, बिलकुल ठीक उसी तरह से जब उसे उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था कानपुर से 25 किलोमीटर पहले पुलिस पार्टी की स्कार्पियो अचानक अनियंत्रित होकर पलट गयी और उसमे से विकास दुबे ने फरार होने की कोशिश की, इस दौरान उसने घायल एस टी एफ जवान की पिस्तौल छीन ली और फरार होने की कोशिश की । पीछे से आ रही पुलिस पार्टी ने उसे पकड़ने का प्रयास किया और इस दौरान उसने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी, जवाबी फायरिंग में उसे 4 गोलियां लगी। एनकाउंटर में गंभीर रूप से घायल विकास को पुलिस अस्पताल लेकर गई। जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
पुलिस ने दिया है ये बयान
विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर कानपुर पुलिस की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘5 लाख के इनामी विकास दुबे को उज्जैन से गिरफ्तार किये जाने के बाद पुलिस और एसटीएफ टीम आज 10 जुलाई को कानपुर नगर ला रही थी. कानपुर नगर भौंती के पास पुलिस की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त होकर पलट गई. विकास दुबे और पुलिसकर्मी घायल हो गए.’
मची राजनीतिक हलचल
इस एनकाउंटर के तुरंत बाद राजनितिक पार्टियों के बयान आने शुरू हो गए। सबसे पहला बयान समाजवादी पार्टी की तरफ से आया जहां पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि “दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज़ खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है”।
https://platform.twitter.com/widgets.jsदरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज़ खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 10, 2020
वही कांग्रेस की तरफ से भी इस पर तुरंत प्रतिक्रिया आ गयी। प्रियंका गांधी ने इसे “अपराधी का अंत लेकिन अपराधियों का संरक्षण देने वालो का क्या?” कहते हुए सीधा योगी सरकार पर निशाना साध दिया। साथ ही राहुल गांधी ने शायराना अंदाज में योगी सारकर पर राज छुपाने का आरोप लगाते हुए ख़ामोशी वाला शेर जड़ दिया।
https://platform.twitter.com/widgets.jsकई जवाबों से अच्छी है ख़ामोशी उसकी
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 10, 2020
न जाने कितने सवालों की आबरू रख ली
https://platform.twitter.com/widgets.jsअपराधी का अंत हो गया, अपराध और उसको सरंक्षण देने वाले लोगों का क्या?
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 10, 2020
हालाँकि विकास दुबे एक दुर्दांत अपराधी था और उसके मारे जाने से उत्तर प्रदेश में खुशी की लहर छा गयी लेकिन इस एनकाउंटर से पुरे देश में एक बार फिर से पुलिस के तौर तरीकों पर सवाल उठने लगे है।
कुछ सवाल है जो अभी सुलझने बाकी है
1. एनकाउंटर की जगह एकदम से सुनसान है और इतनी सुबह मवेशी कैसे आ गए?
2. पुलिस पार्टी का पीछा कर रही मीडिया की टीम को टोल नाके पर क्यों रोका गया?
3. विकास दुबे ने कल एक गार्ड के सामने सर्रेंडर किया था तो वह इस जगह पर क्यों भागा?
4. विकास दुबे पर पांच लाख का इनाम था और वो एक खतरनाक अपराधी घोषित किया हुआ था तो उसे हथकड़ी क्यों नहीं लगायी गयी थी?
5. क्या ये पुलिस के द्वारा बदला लेने की कार्यवाही थी, क्योंकि आठ पुलिसकर्मियों की शहादत के पश्चात पुलिस महकमे में बहुत गुस्सा था और उसी का बदला लेने के लिए सोचा समझा प्लान था?
6. बताया जा रहा है कि विकास दुबे को चार गोलियां लगी थी, तीन सीने में और एक हाथ पर, तो कही उसे घटनास्थल पर ले जाकर एनकाउंटर किया गया है या फिर उसे सीने में गोली मुठभेड़ में लगी?
7. तो क्या विकास दुबे के कोर्ट जाने से कई मंत्रियो और अफसरशाह के फंसने और बहुत सारे राज खुलने का डर था?
हमारा मानना है कि मारे गए आठ पुलिस वालों को न्याय मिलना ही चाहिए था। लेकिन साथ ही ये भी मानना है की अपराधी कितना भी दुर्दान्त हो, हमारी लोकतान्त्रिक व्यस्था में हर अपराध के लिए निश्चित दंड प्रक्रिया निर्धारित की गयी है और हर अपराधी को सजा तय कानून के अनुसार ही होनी चाहिए, और अगर ये एनकाउंटर बदले की कार्यवाही के तहत किया गया है तो इसकी उच्च स्तरीय जांच जरूर होनी चाहिए ।