
May the divine lights of Diwali spread into your life and bring peace, prosperity, happiness, good health and grand success.
Best wishes on the festival of lights and prosperous Diwali!
Team MandawaConnect
http://www.mandawaconnect.com
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अधर्म पर धर्म की जीत
अन्याय पर न्याय की विजय
बुरे पर अच्छे की जय जयकर
यही है दशहरे का त्यौहार
विजयदशमी की शुभकामनाएं!!
आप सभी को शारदीय नवरात्रा पर्व की हार्दिक शुभकामनाये !
माँ अम्बे आपको सुख समृद्धि, यश और वैभव प्रदान करे।
जय जय।
आज बात करेंगे उन लोगो के बारे में जिनके लिए चुनाव होता है एक उत्सव।
निर्वाचन आयोग ने जैसे ही पंचायत चुनावो की घोषणा की, गांव में कुछ लोगो के पावों में घुंघरू जैसे बांध गये, मन में झुरझुरी जैसे पैदा होने लगी क्योकि ये एक ऐसा अवसर है जिसकी प्रतीक्षा वे पिछले पांच साल से कर रहे थे। अब आप बोलेंगे ऐसा क्यों ? अरे भाई, सीधी सी बात है कि जिन लोगो को चुनाव् लड़ना है वो तो अपनी तैयारी पिछले पांच साल से कर ही रहे थे। हर सामाजिक उत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाना, हर खेल प्रतियोगिता के दौरान दिखाई देना, गांव के हर मेले में कुछ एक्टिविटी करना जैसे कि पानी कि प्याऊ लगाना, व्यवस्था देखने कि कोशिश करना इत्यादि। सबसे बड़ी बात ये है कि आप ऐसे लोगो को किसी बड़े बुजुर्ग की गमी के दौरान उस घर में लगातार देख पाएंगे। आखिर क्यू? अरे भाई वोट ! इन सब कार्यक्रमो में शामिल होती है भीड़। गांव के लगभग मोजिज लोग इक्कट्ठा होते है वह आपका वोट पक्का करने का, अपनी छवि चमकाने का सबसे बड़ा मौका जो होता है।
बात भटक रही है शायद, सो वापस उन लोगो पर आते है जो जिन्हे चुनाव का हर क्षण उत्सव लगता है। ऐसे लोग बड़ी आसानी से पहचाने जा सकते है। ये लोग आपके आसपास ही होते है। आपके काकोसा, बाबोसा या दादोसा या कुछ मामलो में आपके बड़े भाई साहब भी हो सकते है। जिनके तथाकथित सम्बन्ध गांव के सरपंच, प्रधान, पटवारी या स्थानीय नेता जी से होते है और वे इस बात को हर मोके पर भुनाने की कोशिश करते है। अब जैसे ही इन लोगो को पता लगता है की चुनाव की तारीख पड़ चुकी है वैसे ही ये लोग एकदम से सक्रिय हो जाते है। सबसे पहले तो इस बात का पता लगाया जाता है की वर्तमान मे किस नेता की पहुँच कितनी है फिर जब इस बात का पता लगता है तो बड़ी ही बारीकी से अपनी गोटियां सेट की जाती है । फिर ये लोग गाँव भर मे इस बात का प्रचार करने मे जुटते है की फलां सरपंच उम्मीदवार मेरे अपने निजी जानकार है और मेरा उनके साथ दिन रात का उठना बैठना है।
अगला दांव उम्मीदवार को रिझाने का होता है, कि भाई साहब, उस मोहल्ले मे कुल 150 वोट है जिसमे से 125 वोट अपने संपर्क मे है और जहाँ हम बोलेंगे वही वोट जायेगा। बस थोड़ा सा खर्चा पानी करना पड़ेगा। और इस तरह से आपके वोट की कीमत तय कर दी जाती है । मजे की बात ये है कि आपको इस सौदेबाजी का भान भी नही होता है । फिर बारी आती है आपको पटाने की, बहुत प्यार से और सावधानी से उम्मीदवार और आपके बीच मे कोई कनेक्शन ढूंडा जाता है और एक शाम जब आप अपने काम के फुर्सत पाकर आराम से बैठे होते है तो घर के बाहर आवाज दी जाती है… अरे भाया घर पर है क्या?… हाँ बोलते है घर मे एंट्री की जाती है और फिर शुरू होती है इधर उधर की बात, लगभग 15 मिनट बाद मुद्दे को बीच मे फेंका जाता है, वो भी उस समय जब आप बाकि बातों मे लगभग सहमति जता चुके होते हो ।…… तो इस बार बोट किन् देवोगा…. आप बोलते है, अभी कोई आया ही नही है बात करने तो किसको दे,…. बस वो ही मौका होता है जब आप इनके चंगुल में फंस चुके होते हो,……. अरे भाई जी हम आये है ना…… भाई साहब ने भेजा है और आपको बोला है कि वैसे तो उसको बोलने की जरूरत ना है क्युंकि वो तो अपने खास आदमी है पण एक बार मेरा संदेश देकर आवो कि वोट आपां न ही देणा हैं…. ऐ ल्यो पीला चावळ…. ठीक है.. अब म्हे चाला हाँ..
अब आप चाह कर भी कुछ नही कर सकते, आप एक अराजनीतिक व्यक्ति हो जिसे इस झमेले मे नही पड़ना है सो….. आप अपना वोट भले ही किसी भी कंडीडेट को डाले पर आप पर ठप्पा तो लग गया।
सो बात की एक बात
भले ही बात कड़वी लगे पर लगभग सभी सरपंच आज के दिन बिना किसी एजेंडा के चुनाव लड़ते है, क्यों? क्योंकि उनको पता है कि जहाँ के लोग एक बोतल दारू मे या 500 रुपिया मे बिकते हो वहाँ क्या एजेंडा बनाना और बताना। और दूसरी बात मानलो अगर आप ने एजेंडा पूछ भी लिया तो आप किसी दूसरी दुनिया से आये हुए जीव समझे जायेंगे क्युंकि आपको फिर समाज और गांव की समझ नहीं है ऐसा बोलकर साइड कर दिया जायेगा ।
दूसरी बात ये भी है कि लगभग 80% मतदाता तो वो ही करते है जो समाज या भाई बंधु कर रहे है, यानि वोट वहीं डाला जायेगा जहाँ समाज बोलेगा । बाकि बचे 20% में आधे उधर जायेंगे और आधे इधर ।
तो क्या करे… लड़ मरे क्या… समाज से या फिर सरपंच प्रत्याशी से….??
ना… लड़ना क्यु… सीधा हमला तब करे जब मीटिंग हो रही हो समर्थन देने वाली… चंद सीधे सवाल… क्या करोगे अगर जीत गए तो…. इन मुख्य समस्याओं का…. जो जुड़ी है सीधी हर जनमानस से जो बैठा है इस मीटिंग में….. पानी…बिजली….पेंशन…. सड़क… रोज़गार… खेल… शिक्षा… गाँव… गुवाड….
अगर एक भी समस्या का समाधान है… या उसके समाधान का तरीका मालूम है…. तो वो आपका… आपके गाँव का पक्का हितैषी साबित होगा…. और अगर आपको कंधे पर हाथ रख कर कोने में ले जाया जाने लगे तो सतर्क हो जाये… क्युंकि सरपंच साहब कि अगली स्कॉर्पियो आपके पैसे से खरीदी जानी तय हो गयी है ।
स्टोरी: सुरेंद्र सिंह तेतरा, फ़ोटो: गूगल बाबा
सुशांत सिंह राजपूत मामले मे कंगना और शिवसेना के बीच ट्विट्टर के जरिये शुरू हुयी जुबानी जंग अब अगले पड़ाव पर पहुँच गयी है। आज BMC ने जब अवैध निर्माण के तहत कार्यवाही करते हुए कंगना के ऑफिस को तोड़ा तो इसपर राजनीति तेज हो गयी। जहाँ BJP ने इसे बदले की भावना के तहत की कार्यवाही बताया तो वही NCP के शरद पवार ने भी इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे गैरजरूरी बता दिया।
आज जब BMC कंगना के ऑफिस को तोड़ रही थी तो कंगना की तरफ से इस कार्यवाही को ‘बाबर’ और अपने ऑफिस को ‘ राम मंदिर ‘ बताते हुए इसे धार्मिक रंग भी देने की कोशिश की गयी।
उधर जैसा की अनुमान था, करणी सेना ने भी अपने कथन के अनुसार कंगना को एस्कॉर्ट करने के लिये 100 गाड़ियों का जखीरा भेज कर महाराष्ट्र में अपनी मौजूदगी का सख्त संदेश देने की कोशिश की। बाद मे करणी सेना के कार्यकर्ता मुंबई एयरपोर्ट पर पहुंच गए जहाँ पर उन्होंने उद्दव सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और कंगना के समर्थन में जोरदार प्रदर्शन किया।
मुंबई पहुँचने के बाद कंगना ने एक विडिओ जारी कर सीधा उद्दव ठाकरे पर निशाना साधते हुए एक वीडियो जारी किया और ललकारने के अंदाज में कहा की “तुमने आज मेरा घर तोडा है कल तेरा गुरुर टूटेगा वक्त सबका आता है”
आज हुयी इस कार्यवाही में एक बात तो साफ हो गयी की मुंबई में रहकर आप सरकार के साथ पन्गा लेने की कोशिश करोगे तो अपने सत्ताबल के दम पर वहां की सरकार आपको किसी भी हद तक परेशान कर सकती है क्योकि देखने वाली बात ये है कि जो ऑफिस आ तोडा गया है वो आज से १८ महीने पहले बनकर तैयार हो गया था और चल रहा था। इस कार्यवाही को इसलिए भी गलत बताया जा रहा है क्योकि मुंबई में इस तरह के तथाकथित बहुत से अवैध निर्माण मौजूद है और BMC ने खास तौर पर इसे निशाना बना कर कार्यवाही की है।
सौ बात की एक बात
इस पुरे प्रकरण में देखने वाली बात ये है कि जिस सुशांत सिंह राजपूत मामले से शुरू हुआ ये विवाद अब एक नए मोड़ पर पहुँचता दिखाई पड़ रहा है। ये सरकार की तरफ से उन सब बातो पर पर्दा डालने का भी प्रयास हो सकता है जिसमे बहुत बड़े दिग्गजों के नाम सामने आने वाले थे। दूसरा सुशांत को न्याय दिलाने की ये लड़ाई अब कितनी लंबी चलेगी ये भी देखना दिलचस्प होगा।
इन सब बातो से भी बढ़ कर परेशान करने वाली बात ये है कि अगर किसी घर में उसका मालिक मौजूद न हो तो क्या एक नोटिस चिपका कर उस घर को धराशायी किया जा सकता है ? घर से याद आया कि अब कंगना के घर के कुछ हिस्से को अवैध निर्माण का हवाला देकर तोड़ने कि कार्यवाही कि बात भी सामने आ रही है जिस से ये साबित हो रहा है कि ये सचमुच एक बदले कि भावना के तहत कि गयी कार्यवाही है। कम से कम इन हालातो में ये बात और सही साबित होती दिख रही है।
Story: Surendra Singh Tetara
Image and Video: Twitter
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